बुधवार, 25 मई 2011

सचक पथ


सच  याह अई
कि सचक पथ पर
शुले टा गड़त
मोन भीतरे भीतर सबटा सहत
कियाकि सच 
सहनायियेटाक ज्ञान भेटल अई
एकर बिपरीत
चालला 
शूल ने गड़त
कियाकि असहनशीलताक ज्ञान
पहिले  शूल के उखाड़वाक प्रयत्न करत

सृष्टिक खेल

बड़ा अद्भुत अई
राम एला
कृष्ण एला
गंगा सेहो अवतरित भेलीह
ग्रंथो सब लिखैल
एखैन धैर
पूजन वाचन चलैत अई
मुदा !
कोनो परिवर्तन नई भेल
मानव स्वाभाव  वैह रही गेल
कियाकि ?
मानव के रचना अहि लेल भेल अई
 मात्र एक टा लुकाछिपीक खेल अई
सृष्टि  श्रष्टाक अनंत चक्र अई