सोमवार, 28 मई 2012

स्वयं के रीढ़ युक्त बनाबय में लागल छि......


भ्रस्टाचार त्रस्त,
लोक छिलमिला रहल छैथ,
आंदोलनक बिगुल बजा रहल छैथ,
मुदा बेखबर छैथ,
जे हुनको रक्त में भ्रस्ट आचरण दौर रहल छैन,
हुनक जन्म पहिलही,
हुनकर पिता, समाज,
दहेजक दूषित बिचार ,
हुनकर निर्माण प्रारंभ केलैन,
विवाहे - आधारे ,
निर्माण के प्रारम्भे ,
अपन दुर्बल्तक आर में,
हुनका जन्म देलखिन,
समयक क्रम में,
हुनकर अब्चेतन मन के,
हर  भाग में,
भ्रस्टताक उदहारण भैर देलखिन,
हुनक रक्त में तेज कहाँ,
जहिना अनाज, फल, फसल ,
कित्रिम  खाद के प्रयोग ,
रश  हिन्  गेल  अई,
तहिना आइ के युवा उर्जा बिहीन छैथ,
जिनका  सिर्फ गर्दभ गान अबै छैन,
अपन स्वाभिमान नै,
पिता के आर में,
 पिता हुनकर आर में,
पुनः  वैह चक्र चलबैत छैथ,
आब  कहू यौ युवा,
कि  बिना ध्यान, ज्ञान, विज्ञान के,
अहाँ  अई उबैर सके छि,
अहाँ लग समय कहाँ अई,
मूल्य  के मूल्य आंक्कै के,
अहाँ लग उर्जा कहाँ अई,
तटस्त रहै के,
हमरा बुझाना जैत अई,
अहाँ वैह राक्षस छि,
जेकरा स्त्री और धन दुनु देल जैत छल,
समय के प्रवाह में,
कोनो वीर,
अहाँ के छाती पर बज्र प्रहार कै,
अहाँ के अंत करै छलाह,
मुदा  अई घोर कलयुग में,
 वीर कतय छैथ,
से  नै जनैत छि,
मुदा !
स्वयं के रीढ़ युक्त बनाबय में लागल छि,

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