रविवार, 2 जून 2013

हंसै बाला सदिखन हंसै छैथ .....

पता नई कियाक,
लोक अपन कुंठा,
भीतरके खीज,
खिसियाल बिलारी जंका,
उछन्नर पर उछन्नर स,
दोसर के निचा देखाबै लेल व्याकुल,
फुहर स फुहर हरकत करैत-करैत,
अपना के कहिया,
नीच बना लेत छैथ,
हुनका पतो नई चलैत छैन,
अपन सफलताक मद में चूर,
तुलना स तुस्ट,
केना सफलताके,
अपने स ठोकर मारैत छैथ,
बेहोस उन्घैत चलैत-चलैत,
दुखक गर्त में पहुंची,
असगरे अपन बदहाली पर शर्मिंदा,
अपन हार पर माथ पटकै छैथ,
हुनकर दुःख,
अहू दुआरे किछ बेसी टीस मारैत छैन,
जे जेकरा लेल सफलता अर्जन केलैथ,
तेकरे अबहेलना सहैक लेल बाध्य,
भीतरे-भीतर घुटैट-घुटैट,
दोसर के हंसी स घबराईत छैथ,
आ तहि पर किछ और खिसिया,
चांगुर पर चांगुर मारैत छैथ,
मुदा !
ईश्वर के रचना किछ और छैन,
हंसै बाला सदिखन हंसै छैथ,
आ ओ ओहिना दुखक गर्त में.....