भ्रस्टाचार स त्रस्त,
लोक छिलमिला रहल छैथ,
आंदोलनक बिगुल बजा रहल छैथ,
मुदा ओ बेखबर छैथ,
जे हुनको रक्त में भ्रस्ट आचरण दौर रहल छैन,
हुनक जन्म स पहिलही,
हुनकर पिता, समाज,
दहेजक दूषित बिचार स,
हुनकर निर्माण प्रारंभ केलैन,
विवाहे स- आधारे स,
निर्माण के प्रारम्भे स,
अपन दुर्बल्तक आर में,
हुनका जन्म देलखिन,
आ समयक क्रम में,
हुनकर अब्चेतन मन के,
हर भाग में,
भ्रस्टताक उदहारण भैर देलखिन,
हुनक रक्त में ओ तेज कहाँ,
जहिना अनाज, फल, फसल ,
कित्रिम खाद के प्रयोग स,
रश हिन् भ गेल अई,
तहिना आइ के युवा उर्जा बिहीन छैथ,
जिनका सिर्फ गर्दभ गान अबै छैन,
अपन स्वाभिमान नै,
ओ पिता के आर में,
आ पिता हुनकर आर में,
पुनः वैह चक्र चलबैत छैथ,
आब कहू यौ युवा,
कि बिना ध्यान, ज्ञान, विज्ञान के,
अहाँ अई स उबैर सके छि,
अहाँ लग समय कहाँ अई,
मूल्य के मूल्य आंक्कै के,
अहाँ लग उर्जा कहाँ अई,
तटस्त रहै के,
हमरा त बुझाना जैत अई,
अहाँ वैह राक्षस छि,
जेकरा स्त्री और धन दुनु देल जैत छल,
आ समय के प्रवाह में,
कोनो वीर,
अहाँ के छाती पर बज्र प्रहार कै,
अहाँ के अंत करै छलाह,
मुदा अई घोर कलयुग में,
ओ वीर कतय छैथ,
से नै जनैत छि,
मुदा !
स्वयं के रीढ़ युक्त बनाबय में लागल छि,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें